5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HANUMAN CHALISA

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

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व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।

भावार्थ– आप भगवान् शंकर के अंश (अवतार) और केशरी पुत्र के नाम से विख्यात हैं। आप (अतिशय) तेजस्वी, महान् प्रतापी और समस्त जगत्के वन्दनीय हैं।

यहाँ सर्वसुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख से है जो श्री मारुतनन्दन के द्वारा ही मिल सकता है।

व्याख्या – सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार वज्र एवं ध्वजा का चिह्न सर्वसमर्थ महानुभाव एवं सर्वत्र विजय श्री प्राप्त करने वाले के हाथ में होता है और कन्धे पर मूँज का जनेऊ नैष्ठिक ब्रह्मचारी का लक्षण है। श्री हनुमान जी इन सभी लक्षणों से सम्पन्न हैं।

The Hanuman Chalisa also serves to be a conduit in one’s spiritual journey, guiding yogis toward noticing their inherent divinity, and suffering from a further reference to the divine.

व्याख्या– राजपद पर सुकण्ठ की ही स्थिति है और उसका ही कण्ठ सुकण्ठ है जिसके कण्ठपर सदैव श्री राम–नाम का वास हो। यह कार्य श्री हनुमान जी की कृपा से ही सम्भव है।

Yama, Kubera plus the guardians from the 4 quarters; poets and Students – none can Categorical Your glory.

O Hanuman! All illnesses and all kinds of agony get eradicated when just one recites or chants Your identify. hence, chanting Your title often is thought to be really significant.

भावार्थ – जो प्राणी वीरश्रेष्ठ श्री हनुमान जी का हृदयसे स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥

व्याख्या – संसार में रहकर मोक्ष (जन्म–मरण के बन्धन से मुक्ति) प्राप्त करना ही दुर्गम कार्य है, जो आपकी कृपा से सुलभ है।

व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।

जय here हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

[Bhoota=Evil spirits, Pishaacha=ghost; nikata=shut; nahi=don’t; avai=arrive; mahabira=maha+bira=excellent+courageous; jaba=when; naama=title; sunavai=heard]

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